मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि प्रदेश में जल संकट को देखतेे हुए 2011 में ही जल संरक्षण का काम शुरू कर दिया था, जबकि उस समय प्रदेश में हमारी सरकार नहीं थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने राजस्थान को जल संकट से निजात दिलाने के लिए प्रयास इसलिए शुरू कर दिए थे क्योंकि यह वोटों का नहीं लोगों की जिन्दगी के सवाल का विषय था।
श्रीमती राजे सीतापुरा स्थित जेईसीसी में गुरुवार को आयोजित नदी अभियान ’रैली फॉर रिवर्स’ में उपस्थित लोगों को सम्बोधित कर रही थीं।
एमजेएसए को बनाया जन अभियान
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में सबसे बड़ा संकट पानी का है। हमने राजस्थान को पानी के संकट से मुक्ति दिलाने का सपना पूरा करने के लिए हमारी सरकार बनते ही ‘राजस्थान रिवर बेसिन अथॉरिटी’ का गठन किया ताकि राजस्थान की नदियों को जोड़ने का काम शुरू कर सकें। उसके बाद प्रदेशभर में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि एमजेएसए को जन अभियान बनाते हुए हमने समाज के हर वर्ग को इससे जोड़ा। वर्षा जल के संरक्षण के लिए दो साल में करीब ढाई लाख स्ट्रक्चर बनाए जो पानी से लबालब भर गए हैं। इस साल भी करीब 1 लाख जल संरचनाएं बनाई जाएंगी और उम्मीद है कि अगली बारिश में वे भी लबालब भर जाएंगी। हमारा सपना पूरा होगा और राजस्थान जल्द ही पानी के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सद्गुरु श्री जग्गी वासुदेव की रैली फॉर रिवर्स यात्रा आज जब राजस्थान से गुजरी है तो एमजेएसए अभियान को भी छूकर जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे जल संरक्षण के हमारे प्रयासों को भी एक नई ऊर्जा मिलेगी।
दूर होगा जल संकट
श्रीमती राजे ने कहा कि आने वाले समय में राजस्थान के लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कालीसिंध, मेज, चाकन, बनास, गम्भीर तथा पार्वती नदियों के व्यर्थ बहने वाले बरसाती पानी की बूंद-बूंद को बचाने के लिए राज्य सरकार 40 हजार करोड़ रुपये के ’ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट’ पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से 13 जिलों को पेयजल आपूर्ति हो सकेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में ब्राह्मणी-बनास इंटरलिंक प्रोजेक्ट पर भी काम किया जा रहा है जिससे ब्राह्मणी नदी के अतिरिक्त पानी को बीसलपुर में डाल कर पेयजल की मांग पूरी की जाएगी। इसके अलावा लुप्तप्राय सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की सम्भावनाओं पर भी काम किया जा रहा है।
नदियों के संरक्षण के लिए दिलाई जाएगी प्रतिज्ञा
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों के संरक्षण के प्रति राज्यभर में चेतना फैलाने के लिए आगामी 2 अक्टूबर को प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में विशेष ग्रामसभाएं बुलाकर जल और नदियों के संरक्षण की प्रतिज्ञा दिलवाई जाएगी।
एमजेएसए पूरे देश के लिए अनुकरणीय - सद्गुरु
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि राजस्थान में जल संरक्षण के लिए जो कार्य हुआ है वह पूरे भारत में कहीं और नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस पुनीत कार्य को और आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़े। यह काम अभी शुरू नहीं किया गया तो आने वाले 25 साल के बाद हमारी नदियों में पानी नहीं बचेगा।
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के विजन की प्रशंसा करते हुए सद्गुरु ने कहा कि सभी सरकारों और आमजन को नदियों को बचाने की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने की यह पहल राजनीति से परे है और केन्द्र सरकार तथा सभी राज्य सरकारें आगे बढ़कर इसका समर्थन कर रही हैं।
श्रीमती राजे ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदेश के तीन सरपंचों श्री भंवरलाल पटेल, श्रीमती गुड्डू बाई तथा श्रीमती कांता ननोमा को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। साथ ही जल संरक्षण विषयों पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विजेता रहने वाले छात्र-छात्राओं को भी पुरस्कृत किया। कार्यक्रम में सेंड आर्टिस्ट श्री बादल बराय ने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के महत्व को खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत किया।
पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश में शुरू किए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के सारगर्भित परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि लुप्त होती नदियों को बचाने का अभियान भी सबके लिए प्रेरणादायी रहेगा।
इस अवसर पर राज्य मंत्रिमण्डल के सदस्यगण, राजस्थान रिवर बेसिन अथॉरिटी के चेयरमैन श्री श्रीराम वेदिरे, मुख्य सचिव श्री अशोक जैन सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित थे।
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