Thursday 19 October 2017

श्रद्धा - भक्ति के साथ मनाया पदमप्रभ का जन्म व तप कल्याणक पर्व



जयपुर।  अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा दिगम्बर जैन मंदिर में मंगलवार को जैन धर्म के छठे तीर्थंकर भगवान पदमप्रभ का जन्म व तप कल्याणक पर्व  एवं धनतेरस के शुभावसर पर अंतर्मना मुनि प्रसन्न सागर महाराज की मंगल प्रेरणा व आचार्य शशांक सागर महाराज, अंतर्मना संघस्थ मुनि पीयूष सागर महाराज एवं गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ससंघ सानिध्य में श्रद्धा - भक्ति और जयकारो के साथ मनाया गया।  
मंत्री हेमंत सोगानी ने बताया की मंगलवार को जन्म व तप कल्याणक पर्व के शुभावसर पर प्रातः 6 बजे अतिशय क्षेत्र  मूलनायक पदमप्रभ भगवान के स्वर्ण एवं रजत कलशो से कलशाभिषेक किये गए। जिसके 51 विशेष इंद्र कलशो से श्रीजी के अभिषेक संपन्न हुए। ततपश्चात् मुनि पीयूष सागर महाराज के मुखारविंद से भव्य शांतिधारा का आयोजन हुआ। 
समिति अध्यक्ष सुधीर जैन ने  बताया की कलशाभिषेक के पश्चात् विराजमान आचार्य, मुनि एवं आर्यिका माताजी के सानिध्य एवं निर्देशन में पदमप्रभ मंडल विधान पूजन का आयोजन पंडित विमल चंद जैन बनेठा वालो के निर्देशन में मंडल पर कलश स्थापित कर प्रारम्भ किया जिसमे समिति के पदाधिकारी, सदस्यों सहित पदमप्रभ भक्त मंडल परिवार के सेकड़ो श्रद्धालुओं ने भाग लिया और विधान पूजन में पदमप्रभ भगवान की भक्ति के रस में सरोबार होकर श्रद्धा - भक्ति और जयकारो के साथ विधानपूजन में अर्घ चढ़ाये और पूजा - अर्चना की। 

चैरिटेबल या धार्मिक न्यासों के पंजीकरण हेतु आयकर नियमों को संशोधन करने के लिए टिप्पणियां और सुझाव आमंत्रित

वित्त अधिनियम, 2017 के तहत इस आशय के एक नये खंड (एबी) को आयकर अधिनियम, 1961 (कथित अधिनियम) की धारा 12 ए की उपधारा (1) में (01.04.2018 से प्रभावी) जोड़ा गया था कि इस अधिनियम की धारा 12 ए या 12 एए के तहत जिस न्‍यास और संस्‍थान को पंजीकरण प्रदान किया गया है और उसने बाद में अपने उद्देश्‍यों में संशोधन कर लिया है या अपना लिया है, तो ऐसा संशोधन इस प्रकार के पंजीकरण की शर्तों की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए ऐसे न्‍यास या संस्‍थान को ऐसे अंगीकरण या उद्देश्‍यों के संशोधन की तिथि से तीस दिन की अवधि के अंदर एक आवेदन द्वारा फिर से पंजीकरण प्राप्‍त करना अपेक्षित होगा। 
प्रदत्‍त विधान से संबंधित ज्ञापन वित्त विधेयक, 2017 के साथ संसद के पटल पर रखा गया है। अपने उद्देश्‍यों में संशोधन करने वाले न्‍यास या संस्‍थान के पंजीकरण के लिए प्रधान आयुक्त या आयुक्‍त के समक्ष 12 (1) (एबी) के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन फॉर्म और तरीके को निर्धारित किया जाना अपेक्षित है।
इस अधिनियम की धारा 12 ए के तहत चैरिटेबल या धार्मिक न्‍यासों के पंजीकरण के लिए आवेदन करने के नियम आयकर अधिनियम, 1962 की धारा 17 ए के तहत दिये गये है। नियमों के मुताबिक चैरिटेबल या धार्मिक न्‍यासों के पंजीकरण के लिए अधिनियम की धारा 12 ए के तहत आवेदन फॉर्म 10 ए पर किया जाना है।
तदनुसार, अधिनियम में उपरोक्‍त संशोधन होने से नियम 17 ए और फॉर्म 10 ए में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव है। इस संबंध में, नियम 17 ए और फॉर्म 10 ए में संशोधन उपलब्‍ध कराने की मसौदा अधिसूचना तैयार की गई है और आयकर विभाग की वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in पर हितधारकों और आम जनता की टिप्पणियों के लिए अपलोड की गई है।
मसौदा नियमों के बारे में टिप्पणियां और सुझाव ईमेल पते dirtpl1@nic.in पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से 27 अक्टूबर, 2017 तक भेजे जा सकते है।  
वीके/आईपीएस/जीआरएस -5116

सबको पर्यटन से जोड़ें - पर्यटन पर्व के 13वें दिन का समारोह (पर्यटन पर्व की थीम है “पर्यटन : सभी के लिए”। देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग के साथ पर्यटन क्षेत्र के सभी संगठित और असंगठित क्षेत्रों के हितधारकों को सहभागी बनाने का प्रयास)

पर्यटन प्रक्षेत्र भारत के सबसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्रों में एक है। यह प्रक्षेत्र समाज के कमजोर तबकों के लिए समावेशी विकास को प्रोत्साहन देता है। पर्यटन पर्व का एक प्रमुख उद्देश्य है – पर्यटन को आर्थिक विकास का एक प्रमुख स्तंभ मानना तथा लोगों को इस क्षेत्र के प्रति जागरूक बनाना और समाज के सभी वर्गों की सक्रिय भागीदारी से रोजगार के अवसर सृजित करना तथा गरीबी का उन्मूलन करना। पर्यटन पर्व की थीम है “पर्यटन : सभी के लिए”। देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग के साथ पर्यटन क्षेत्र के सभी संगठित और असंगठित क्षेत्रों के हितधारकों को सहभागी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
पर्यटन पर्व के दौरान कौशल विकास व प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। युवाओं के साथ-साथ पर्यटन क्षेत्र से जुड़े सभी सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया गया। इसके अतिरिक्त स्थानीय समुदायों को भी पर्यटन के महत्व के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें आय में वृद्धि, जीवन स्तर बेहतर होने, स्थानीय कला, संस्कृति, हस्तकला, खानपान आदि की लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी के बारे में बताया गया। स्थानीय समुदायों को आजीविका के नए अवसर सृजित होने के बारे में भी जानकारी दी गई।
सेवा प्रक्षेत्र , प्रशिक्षित कार्यबल की कमी का सामना कर रहा है। पर्यटन पर्व के दौरान यह सुविधा दी गई कि जो भी पर्यटन क्षेत्र से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं वे अपने कौशल को प्रशिक्षण के द्वारा बेहतर बना सकते हैं।
पर्यटन मंत्रालय की दो महत्वपूर्ण योजनाएं हैं – स्वदेश दर्शन और प्रसाद। इन योजनाओं की महत्वपूर्ण विशेषता है – पर्यटन स्थलों और पर्यटन सर्किट के आस-पास के क्षेत्रों में आधारभूत संरचना का विकास। इसमें स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाती है तथा रोजगार के नए अवसरों का सृजन होता है।

पूरे देश में पर्यटन पर्व का 13वां दिन
भूतपूर्व सैनिक कल्याण, ट्रेवल ट्रेड एसोसिएशन व राज्य सरकार के सहयोग से पर्यटन मंत्रालय द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन। उद्देश्य – पर्यटन क्षेत्र में भूतपूर्व सैनिकों की सेवा का उपयोग।
संस्कृति मंत्रालय और आईजीएनसीए ने चेन्नई के ललित कला अकादमी में एमएस : ए लाइफ इन म्यूजिक विषय पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया।
झारखंड सरकार के सूचना व जनसंपर्क विभाग ने संस्कृति म्यूजियम के सहयोग से हजारीबाग में ट्राइबल हेरिटेज वॉक का आयोजन किया।
केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालयों ने अपने छात्रों के लिए पर्यटन को ध्यान में रखते हुए कई छोटी यात्राओं का आयोजन किया।
कोलकाता के इंडिया टूरिज्म ने ओडिशा सरकार की सहायता से पर्यटन और हस्तकला प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, क्विज प्रतियोगिता जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए।
गुवाहाटी के इंडिया टूरिज्म ने राज्य सरकार की सहायता से राफ्टिंग, कयाकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग तथा टूर ऑपरेटरों, ट्रेवल एजेंटों तथा होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए पर्यटन कार्यशाला का आयोजन किया।
आईएचएम और आईआईटीटीएम के सहयोग से इंडिया टूरिज्म, दिल्ली ने संजय पार्क, सरोजनी नगर तथा कुतुब मीनार में योग सत्रों का आयोजन किया। लाल किले में हस्तकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। महरौली पार्क में हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया। दुकानदारों, रिक्शा और ऑटो रिक्शा चालकों के लिए नई दिल्ली के इंद्रपूरी मार्किट तथा चंडीगढ़ के सेक्टर-42 में अतिथि देवो भव कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, केरल, झारखंड व गुजरात राज्यों में विभिन्न  सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।
माई गॉव वेबसाइट पर देखो अपना देश विषय पर फोटो प्रतियोगिता, क्विज प्रतियोगिता, ब्लॉग प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। दूरदर्शन पर स्माइल इंडिया स्माइल विषय पर फोटो प्रतियोगिता अभी जारी है। सफल प्रतियोगियों को आकर्षक इनाम दिए जाएंगे।




***


वीके/जेके/डीए– 5099

Sunday 15 October 2017

डा. कलाम ने भारत की रक्षा एवं अंतरिक्ष प्रणालियों को आत्म निर्भर बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई: उपराष्ट्रपति

‘स्वच्छ एवं हरित भारत‘ के लिए रैली को झंडी दिखाई

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि डा. कलाम ने भारत की रक्षा एवं अंतरिक्ष प्रणालियों को 
आत्म निर्भर बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई। उपराष्ट्रपति आज यहां डा. एपीजे अब्दुल कलाम की 86वीं 
जयंती के अवसर पर आयोजित समारोहों के एक हिस्से के रूप में ‘स्वच्छ एवं हरित भारत‘ के लिए रैली 
को झंडी दिखाने के अवसर पर एकत्र जनसमूह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि डा. कलाम नाव बनाने वाले के पुत्र थे जो अपने परिवार की आजीविका में 
मदद करने के लिए बचपन में अखबार बांटा करते थे। उन्होंने कड़ी मेहनता, लगन एवं आत्म विश्वास की 
बदौलत वहां से भारत के प्रथम नागरिक बनने तक की अविस्मरणीय यात्रा की। उन्होंने कहा कि ‘लोगों के 
राष्ट्रपति‘ स्कूली छात्रों एवं युवाओं को हमेशा सलाह दिया करते थे कि ‘स्वप्न देखने की हिम्मत करो और 
आसमान तक पहुंचने की कोशिश करो।‘
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के उत्कृष्ट पद पर पहुंचने के बावजूद डा. कलाम हमेशा 
जीवन भर सरल और विनम्र बने रहे तथा उन सबके साथ हमेशा प्यार और गर्मजोशी से मिलते थे जो 
उनके साथ काम करते थे या उनके परिचित थे, चाहे वे कियी भी पद पर या किसी भी पृष्ठभूमि के क्यों 
 न रहे हों। उपराष्ट्रपति महोदय ने स्मरण किया कि उन्होंने डा. कलाम से कई अवसरों पर मुलाकात की 
थी और उनके साथ की गई कोई भी चर्चा उनके लिए सीखने का एक अनुभव होता था।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि डा. कलाम का विजन 2020 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में 
पूरी तरह रूपांतरित होते देखना था और उन्हें भरोसा था कि लोगों की प्रतिभा, लगन और कड़ी मेहनत को 
देखते हुए भारत के लिए यह दर्जा हासिल करना मुश्किल नहीं था। उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि डा. 
कलाम हमेशा कहा करते थे कि ‘मजबूती ही मजबूती का सम्मान करती है‘ और वह भारत को एक 
अग्रणी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरते देखना चाहते थे।
एसकेजे/आरके


कानून के तहत लोगों को सेवा प्रदान करने की गारंटी होनी चाहिए: उपराष्ट्रपति



‘द मेवरिक्स ऑफ मसूरी’ नामक पुस्‍तक का विमोचन किया
भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि कानून के तहत लोगों को सेवा प्रदान करने की गारंटी होनी चाहिए। वह आज यहां श्री एम. रामचंद्रन द्वारा लिखित पुस्‍तक ‘द मेवरिक्स ऑफ मसूरी’ का विमोचन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह किताब सामान्य पाठक को भारतीय प्रशासनिक सेवा या नौकरशाही के कामकाज करने के तरीकों से और भी बेहतर ढंग से अवगत कराने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक में प्रोफेशनल दक्षता एवं  कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ-साथ गवर्नेंस में सुधार सुनिश्चित करने को लेकर लेखक द्वारा की गई कड़ी मेहनत की भी झलक मिलती है।  उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को सरकार की नीतियां लागू करने में अनगिनत जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘अधिकतम शासन एवं न्यूनतम सरकार’ सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सेवाओं से जुड़े कर्मियों को अभिनव रूप से कार्य करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसे ‘स्टील फ़्रेम’  के रूप में वर्णित किया गया है जो समाज को एकजुट रखता है क्योंकि इसे देश के कानूनों का एक उद्देश्यपरक कार्यान्वयनकर्ता माना जाता है। उन्होंने कहा  कि आजादी के बाद देश में उच्च सिविल सेवा से जुड़े कर्मी राष्ट्र निर्माण में सर्वाधिक योगदान देने वालों में से एक रहे हैं।
देश में पिछली तिमाही के दौरान जीडीपी वृद्धि दर कम रहने के कारण का उल्‍लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने एक ऐसे कॉलेज का उदाहरण दिया, जो अच्छे परिणाम पाने के लिए कदाचार में लिप्‍त रहता था। जब एक सख्त प्रिंसिपल को कॉलेज में नियुक्त किया गया तो उन्होंने सभी तरह के कदाचार बंद कर दिए और छात्र परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण हो गए। इसके परिणामस्वरूप छात्रों, शिक्षकों एवं प्रबंधन ने प्रिंसिपल को दोषी ठहराया है।

***
वीके/आरआरएस/एसएस –  5073    

Tuesday 3 October 2017

A short photo film on water conservation programme held in Jaipur ( Rally for Rivers ) मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच से राजस्थान पा रहा सुनहरे आयाम



मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को और अधिक गति मिली जब 28 सितम्बर 2017 को जयपुर में सीतापुरा स्थित जे इ सी सी (जयपुर एक्सबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर) में रैली फॉर रिवर्स कार्यक्रम में उमड़े विशाल जन समुदाय के बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं सद्गुरू ने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की पुस्तिका का विमोचन किया एवं उपस्थित विशाल जन समुदाय ने भारी उत्साह के साथ जल सरंक्षण सम्बन्धी विभिन्न कार्यक्रमों में भागीदारी का संकल्प लिया| राजस्थान में जल सरंक्षण की दिशा में हो रहे एवं होने जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का सुंदर चित्रण भी रैली फॉर रिवर्स के उक्त कार्यक्रम में देखने को मिला, सम्पन्न कार्यक्रम की कुछ झलकियों के साथ उक्त चित्रण को हम फोटो रूपी इस विडियो फिल्म के माध्यम से दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि जल संरक्षण के प्रति और अधिक जन जागृति बढ़े एवं जल सरंक्षण संबंधी कार्यक्रमों में और अधिक गति आए।

Monday 2 October 2017

केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आईएएस प्रशिक्षुओं का आह्वान किया कि प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के स्वपन को साकार करने में योगदान दें


केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने युवा आईएएस प्रशिक्षुओं का आह्वान किया है कि वे प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए अपना योगदान दें। वे उत्तराखंड के मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में 92वें स्थापना पाठ्यक्रम के अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित कर रहे थे। उऩ्होंने कहा कि ‘आपको लोगों की सहायता के लिए कठिन कार्य करना है। आपको अपने कठिन परिश्रम के जरिए लोगों के बीच विश्वास की भावना पैदा करनी है।‘
केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अधिकारियों को लोगों के साथ सहानुभूति से पेश आना चाहिए, जो उनके पास अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने उन्हें मानवता और देश के सामान्य नागरिकों की सेवा का सुअवसर दिया है। उन्होंने कहा कि आपको लोगों की समस्याओं को टालना नहीं चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आपका दृष्टिकोण व्यक्तिगत नहीं होना चाहिए, बल्कि हमेशा प्रणाली आधारित होना चाहिए।
युवा आईएएस अधिकारियों को सतर्क करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘उऩ्हें अपने अहम को टालना चाहिए, क्योंकि अहम दशमलव अंक के समान है, जिसे यदि अंक से पूर्व लगा दिया जाए तो अंक का मूल्य घट जाता है।‘ उन्होंने युवा अधिकारियों को प्रेरित करते हुए कहा कि ‘आपको उच्च नैतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए और आदर्श बनना चाहिए, लोग आपका अनुकरण कर सकें। उन्होंने कहा कि आप दूसरों के लिए तभी अनुकरणीय बन पाएंगे, जब आप उच्च नैतिक मूल्यों के प्रति दृढ़ रहेंगे। आपको सार्वजनिक जीवन में हमेशा सतर्क रहना चाहिए।‘ उन्होंने प्रशिक्षुओं को उज्जवल भविष्य और सफल कैरियर की शुभकामनाएं दी।
केंद्रीय गृह मंत्री आज बाद में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की माना बॉर्डर आउट पोस्ट जाएंगे। अपनी चार दिन की यात्रा के दौरान श्री राजनाथ सिंह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के लापथाल और रिमखिम सीमा आउट पोस्ट का दौरा भी करेंगे। वे ऑली में आईटीबीपी के पर्वतीय और कौशल संस्थान में पर्वतारोहन और कमांडो कार्रवाई को भी देखेंगे। वे जोशी मठ में नागरिक कार्य कार्यक्रम और रक्तदान शिविर का उद्घाटन भी करेंगे।
कल श्री राजनाथ सिंह के राज्य के चार दिवसीय दौरे पर देहरादून पहुंचने पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उनकी अगवानी की। दोनों नेताओं ने विभिन्न मामलों पर विचार-विमर्श भी किया।

*****

वीके/पीकेए/एमएस-3979 

राजघाट में प्रथम बार महात्मा गांधी की प्रतिमा की स्थापना


उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने राजघाट में महात्मा गांधी की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया

गांधी जी के जीवन व उनके कार्यों पर संवादमूलक व्याख्या केन्द्र, आगंतुकों के लिए एक नया आकर्षण
राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति की समाधि, राजघाट को पहली बार एक नयी विशेषता हासिल की है जो भारी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करती है। भारत के उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने आज स्वतंत्र भारत के शूरवीर की 148वीं जन्मशताब्दी पर महात्मा गांधी की 1.80 लम्बी कांस्य प्रतिमा अनावरण किया।

श्री राम सुतार द्वारा तराशी गई प्रतिमा को राजघाट समाधि परिसर के पार्किग क्षेत्र में 8.73 लाख रूपये की लागत से स्थापित किया गया है। यह 2 फीट ऊँचे मूर्तितल पर ग्रेनाइट धातु में लिपटा हुआ है। मूर्तितल के सामने की दिशा में गांधी जी का प्रसिद्ध संदेश “जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वही बनो” को उत्कीर्ण किया गया है। प्रतिमा को स्थापित करना, गत तीन वर्षों में राजघाट में किए गए बहुसंख्य सुधार कार्यों का हिस्सा है।

प्रतिदिन 10 हजार लोग राजघाट आते है और विदेशी मान्यगण, सादे काले रंग के पत्थर के चबूतरे पर जहाँ गांधी जी का दाह संस्कार किया गया था, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है। यह नई प्रतिमा उस महान आत्मा को सम्मान देने के लिए एक अन्य स्थान प्रदान करेगी।

श्री वैंकेया नायडू ने परिसर के पार्किग क्षेत्र में व्याख्या केन्द्र का उद्धाटन भी किया। 5.9 लाख की यह सुविधा एलईडी स्क्रीन पर डिजिटल डिसप्ले द्वारा महात्मा के जीवन और कार्यो के बारे में संवादमूलक व्याख्या सीखने की सुविधा प्रदान करती हैं। यह आने वाले आगंतुक चित्रपट, जीवन वृत्तांत देख सकते हैं, गांधीजी के भाषणों को सुन सकते हैं, प्रश्नोत्तरी में भाग लेने के अलावा कान फोन का प्रयोग बिना बाधा के बातचीत के लिए कर सकते हैं।

इस समाधि परिसर को नया प्रशासनिक खण्ड मिला है जो आगंतुक कक्ष, प्रकाशन इकाई, स्टाफ कक्ष, पेयजल सुविधा से सुसज्जित है। इसका निर्माण लगभग 75 लाख रूपये की लागत से किया गया हैं।

पिछले तीन वर्ष के दौरान आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और राजघाट समाधि समीति ने राजघाट पर आगंतुकों के अनुभव को बढ़ाने के लिए बहुत से कार्यों को शुरू करने का दायित्व लिया हैं।


*****

वीके/पीकेए/एनके–4003

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का मंगरोल में विभिन्न योजनाओं के उद्घाटन/शिलान्यास करने के अवसर पर सम्बोधन


आज गाँधी जयंती के पावन अवसर पर मुझे प्रात:काल बापू की समाधि पर जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का और उसके बाद उनके जन्मस्थान पोरबंदर में कीर्ति मंदिर जाकर नमन करने का सौभाग्य मिला। और यहाँ का कार्यक्रम भी बापू की स्मृति और आदर्शों से जुड़ा हुआ है।

जैसा कि हम सभी जानते है बापू पूरे समाज का समग्र विकास चाहते थे। वे श्रम की गरिमा में विश्वास करते थे। यहाँ आज जिन सुविधाओं की शुरुआत की गयी है उनसे यहाँ के मेहनतकश लोगों का आर्थिक विकास होगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।

समुद्र तट पर रहने वाले सौराष्ट्र के लोग खारे पानी तथा प्रकृति की अन्य चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी मेहनत से अपने जीवन का निर्माण करते हैं। यहाँ के लोग अपने परिश्रम और पुरुषार्थ के लिए जाने जाते हैं। इस प्रकार इस क्षेत्र के लोग गुजरात की उद्यमशीलता का प्रतिनिधित्व करते हैं।

हम सब गुजराती भाई-बहनों के लिए अक्तूबर का मास बहुत ही महत्वपूर्ण महीना है। आज के दिन, पूरे विश्व में अपनी कीर्ति फैलाने वाले महात्मा गांधी का जन्म इसी राज्य में हुआ था। 15 दिन बाद ही गुजराती नूतन वर्ष का आगमन होगा जब पूरे देश में दीवाली का त्योहार मनाया जाएगा। आप सभी को गुजराती नूतन वर्ष और दीवाली की अग्रिम शुभकामनाएं।

31 अक्तूबर को हमारे देश के वर्तमान स्वरूप को सुनिश्चित करने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती हम सब मनाते हैं। भारत की आजादी के निर्णय के समय लगभग चालीस प्रतिशत क्षेत्र 550 से अधिक रजवाड़ों के अधीन था। इन सभी रजवाड़ों का भारत में विलय सरदार पटेल के ही अथक प्रयास से हुआ था। तब के जूनागढ़ रियासत के इस क्षेत्र का भारत के संघ में विलय भी सरदार पटेल की अद्भुत क्षमताओं के कारण ही संभव हो सका था। देश को वर्तमान स्वरुप प्रदान करने के लिए पूरा भारत उनका ऋणी है। हम पूरी श्रद्धा से उनको नमन करते है।

गुजरात में मैंने यहाँ की उस विशेष ऊर्जा का अनुभव किया है जो गुजरात के किसानो, उद्यमियों और सभी नागरिको में देखने को मिलती है। इसी विशेष ऊर्जा के कारण गुजरात विकास के अनेक पैमानों पर देश में अपना विशेष स्थान रखता है। कृषि, उद्योग, शिक्षा, कला, साहित्य, राजनीति आदि अनेक क्षेत्रों में गुजरात ने देश का गौरव बढ़ाया है।

कोस्टल गुजरात ने प्राचीन काल से ही देश के विकास में अपना योगदान दिया है। देश के बंदरगाहों से होने वाले कुल आवागमन का लगभग 48 प्रतिशत गुजरात के बंदरगाहों से ही होता है। यह गुजरात के लिए गर्व की बात है। प्राचीन काल से ही विख्यात कांडला के बड़े बंदरगाह के अलावा गुजरात में 40 से अधिक बंदरगाह हैं।

समुद्री मछलियों के कारोबार में गुजरात का देश में पहला स्थान है और इस कारोबार में पूरे देश का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा कोस्टल गुजरात से आता है। फिशिंग हार्बर्स और फिश लैंडिंग सेंटर्स का निर्माण तथा पुराने हार्बर्स और लैंडिंग सेंटर्स को नए तरीके से विकसित करके गुजरात के इस कारोबार को और अधिक बढाया जा सकता है। इसीलिए जिन योजनाओं की आज यहाँ शुरूआत की गई है उनसे यहाँ की अर्थवयवस्था को फायदा होगा और लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। यूरोपियन यूनियन के मानकों के स्तर पर पहुँचने के प्रयास में यह योजनाएं सहायक सिद्ध होंगी।

तत्कालीन मुख्यमंत्री तथा आज के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार रूप देने की दिशा में मुख्यमंत्री रूपाणीजी ने अथक प्रयास किया है और इन योजनाओं को ठोस रूप दिया है। उदाहरण के लिए, मंगरोल के तीसरे चरण की जिस योजना का आज शिलान्यास किया गया है उससे यहाँ की बर्थिंग और लैंडिंग क्षमता में तीन गुने से भी अधिक का इजाफा होगा। आज यहाँ 400 नौकाओं को बर्थिंग और लैंडिंग सुविधा प्रदान करने की क्षमता है, जिसे बढाकर 1400 नौकाओं को यह सुविधाएँ दी जा सकेगी।

इन सभी योजनाओं के विस्तार में जाने पर उनके व्यापक और दूरगामी फायदे स्पष्ट हो जाते हैं। आज शुरू की गयी योजनाओं के कारण, यहाँ के मछुआरे बंधुओं के लिए आज का दिन ऐतिहासिक सिद्ध होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। इस क्षेत्र के 45 गांवों में पानी की आपूर्ति को बेहतर बनाने की अत्यंत महत्वपूर्ण योजना का शुभारंभ करके मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई है।

इस क्षेत्र की जनता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण इन योजनाओं के लिए मैं राज्य सरकार को, गुजरात की जनता को और खासकर सौराष्ट्र के लोगों को बधाई देता हूँ।

अंत में, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य स्मृति में आप सब के साथ एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से बापू को सादर नमन करता हूँ।

धन्यवाद

जय हिन्द!

(Release ID 67431)

Sunday 1 October 2017

2011 में ही शुरू कर दिया था राजस्थान में जल संरक्षण का कार्य - मुख्यमंत्री| राजस्थान जल संरक्षण में पूरे देश में आगे -सद्गुरु जग्गी वासुदेव


मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि प्रदेश में जल संकट को देखतेे हुए 2011 में ही जल संरक्षण का काम शुरू कर दिया था, जबकि उस समय प्रदेश में हमारी सरकार नहीं थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने राजस्थान को जल संकट से निजात दिलाने के लिए प्रयास इसलिए शुरू कर दिए थे क्योंकि यह वोटों का नहीं लोगों की जिन्दगी के सवाल का विषय था। 

श्रीमती राजे सीतापुरा स्थित जेईसीसी में गुरुवार को आयोजित नदी अभियान ’रैली फॉर रिवर्स’ में उपस्थित लोगों को सम्बोधित कर रही थीं। 

एमजेएसए को बनाया जन अभियान
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में सबसे बड़ा संकट पानी का है। हमने राजस्थान को पानी के संकट से मुक्ति दिलाने का सपना पूरा करने के लिए हमारी सरकार बनते ही ‘राजस्थान रिवर बेसिन अथॉरिटी’ का गठन किया ताकि राजस्थान की नदियों को जोड़ने का काम शुरू कर सकें। उसके बाद प्रदेशभर में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि एमजेएसए को जन अभियान बनाते हुए हमने समाज के हर वर्ग को इससे जोड़ा। वर्षा जल के संरक्षण के लिए दो साल में करीब ढाई लाख स्ट्रक्चर बनाए जो पानी से लबालब भर गए हैं। इस साल भी करीब 1 लाख जल संरचनाएं बनाई जाएंगी और उम्मीद है कि अगली बारिश में वे भी लबालब भर जाएंगी। हमारा सपना पूरा होगा और राजस्थान जल्द ही पानी के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सद्गुरु श्री जग्गी वासुदेव की रैली फॉर रिवर्स यात्रा आज जब राजस्थान से गुजरी है तो एमजेएसए अभियान को भी छूकर जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे जल संरक्षण के हमारे प्रयासों को भी एक नई ऊर्जा मिलेगी। 

दूर होगा जल संकट 
श्रीमती राजे ने कहा कि आने वाले समय में राजस्थान के लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कालीसिंध, मेज, चाकन, बनास, गम्भीर तथा पार्वती नदियों के व्यर्थ बहने वाले बरसाती पानी की बूंद-बूंद को बचाने के लिए राज्य सरकार 40 हजार करोड़ रुपये के ’ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट’ पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से 13 जिलों को पेयजल आपूर्ति हो सकेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में ब्राह्मणी-बनास इंटरलिंक प्रोजेक्ट पर भी काम किया जा रहा है जिससे ब्राह्मणी नदी के अतिरिक्त पानी को बीसलपुर में डाल कर पेयजल की मांग पूरी की जाएगी। इसके अलावा लुप्तप्राय सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की सम्भावनाओं पर भी काम किया जा रहा है।

नदियों के संरक्षण के लिए दिलाई जाएगी प्रतिज्ञा
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों के संरक्षण के प्रति राज्यभर में चेतना फैलाने के लिए आगामी 2 अक्टूबर को प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में विशेष ग्रामसभाएं बुलाकर जल और नदियों के संरक्षण की प्रतिज्ञा दिलवाई जाएगी।

एमजेएसए पूरे देश के लिए अनुकरणीय - सद्गुरु
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि राजस्थान में जल संरक्षण के लिए जो कार्य हुआ है वह पूरे भारत में कहीं और नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस पुनीत कार्य को और आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़े। यह काम अभी शुरू नहीं किया गया तो आने वाले 25 साल के बाद हमारी नदियों में पानी नहीं बचेगा। 

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के विजन की प्रशंसा करते हुए सद्गुरु ने कहा कि सभी सरकारों और आमजन को नदियों को बचाने की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने की यह पहल राजनीति से परे है और केन्द्र सरकार तथा सभी राज्य सरकारें आगे बढ़कर इसका समर्थन कर रही हैं।

श्रीमती राजे ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदेश के तीन सरपंचों श्री भंवरलाल पटेल, श्रीमती गुड्डू बाई तथा श्रीमती कांता ननोमा को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। साथ ही जल संरक्षण विषयों पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विजेता रहने वाले छात्र-छात्राओं को भी पुरस्कृत किया। कार्यक्रम में सेंड आर्टिस्ट श्री बादल बराय ने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के महत्व को खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत किया। 

पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश में शुरू किए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के सारगर्भित परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि लुप्त होती नदियों को बचाने का अभियान भी सबके लिए प्रेरणादायी रहेगा।

इस अवसर पर राज्य मंत्रिमण्डल के सदस्यगण, राजस्थान रिवर बेसिन अथॉरिटी के चेयरमैन श्री श्रीराम वेदिरे, मुख्य सचिव श्री अशोक जैन सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित थे।

राजस्थान जल संरक्षण में पूरे देश में आगे -सद्गुरु जग्गी वासुदेव


2011 में ही शुरू कर दिया था राजस्थान में जल संरक्षण का कार्य - मुख्यमंत्री 



2011 में ही शुरू कर दिया था राजस्थान में जल संरक्षण का कार्य - मुख्यमंत्री  राजस्थान जल संरक्षण में पूरे देश में आगे -सद्गुरु जग्गी वासुदेव2011 में ही शुरू कर दिया था राजस्थान में जल संरक्षण का कार्य - मुख्यमंत्री  राजस्थान जल संरक्षण में पूरे देश में आगे -सद्गुरु जग्गी वासुदेव2011 में ही शुरू कर दिया था राजस्थान में जल संरक्षण का कार्य - मुख्यमंत्री  राजस्थान जल संरक्षण में पूरे देश में आगे -सद्गुरु जग्गी वासुदेव


जयपुर, 28 सितम्बर। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि प्रदेश में जल संकट को देखतेे हुए 2011 में ही जल संरक्षण का काम शुरू कर दिया था, जबकि उस समय प्रदेश में हमारी सरकार नहीं थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने राजस्थान को जल संकट से निजात दिलाने के लिए प्रयास इसलिए शुरू कर दिए थे क्योंकि यह वोटों का नहीं लोगों की जिन्दगी के सवाल का विषय था। 

श्रीमती राजे सीतापुरा स्थित जेईसीसी में गुरुवार को आयोजित नदी अभियान ’रैली फॉर रिवर्स’ में उपस्थित लोगों को सम्बोधित कर रही थीं। 

एमजेएसए को बनाया जन अभियान
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में सबसे बड़ा संकट पानी का है। हमने राजस्थान को पानी के संकट से मुक्ति दिलाने का सपना पूरा करने के लिए हमारी सरकार बनते ही ‘राजस्थान रिवर बेसिन अथॉरिटी’ का गठन किया ताकि राजस्थान की नदियों को जोड़ने का काम शुरू कर सकें। उसके बाद प्रदेशभर में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि एमजेएसए को जन अभियान बनाते हुए हमने समाज के हर वर्ग को इससे जोड़ा। वर्षा जल के संरक्षण के लिए दो साल में करीब ढाई लाख स्ट्रक्चर बनाए जो पानी से लबालब भर गए हैं। इस साल भी करीब 1 लाख जल संरचनाएं बनाई जाएंगी और उम्मीद है कि अगली बारिश में वे भी लबालब भर जाएंगी। हमारा सपना पूरा होगा और राजस्थान जल्द ही पानी के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सद्गुरु श्री जग्गी वासुदेव की रैली फॉर रिवर्स यात्रा आज जब राजस्थान से गुजरी है तो एमजेएसए अभियान को भी छूकर जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे जल संरक्षण के हमारे प्रयासों को भी एक नई ऊर्जा मिलेगी। 

दूर होगा जल संकट 
श्रीमती राजे ने कहा कि आने वाले समय में राजस्थान के लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कालीसिंध, मेज, चाकन, बनास, गम्भीर तथा पार्वती नदियों के व्यर्थ बहने वाले बरसाती पानी की बूंद-बूंद को बचाने के लिए राज्य सरकार 40 हजार करोड़ रुपये के ’ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट’ पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से 13 जिलों को पेयजल आपूर्ति हो सकेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में ब्राह्मणी-बनास इंटरलिंक प्रोजेक्ट पर भी काम किया जा रहा है जिससे ब्राह्मणी नदी के अतिरिक्त पानी को बीसलपुर में डाल कर पेयजल की मांग पूरी की जाएगी। इसके अलावा लुप्तप्राय सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की सम्भावनाओं पर भी काम किया जा रहा है।

नदियों के संरक्षण के लिए दिलाई जाएगी प्रतिज्ञा
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों के संरक्षण के प्रति राज्यभर में चेतना फैलाने के लिए आगामी 2 अक्टूबर को प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में विशेष ग्रामसभाएं बुलाकर जल और नदियों के संरक्षण की प्रतिज्ञा दिलवाई जाएगी।

एमजेएसए पूरे देश के लिए अनुकरणीय - सद्गुरु
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि राजस्थान में जल संरक्षण के लिए जो कार्य हुआ है वह पूरे भारत में कहीं और नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस पुनीत कार्य को और आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़े। यह काम अभी शुरू नहीं किया गया तो आने वाले 25 साल के बाद हमारी नदियों में पानी नहीं बचेगा। 

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के विजन की प्रशंसा करते हुए सद्गुरु ने कहा कि सभी सरकारों और आमजन को नदियों को बचाने की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने की यह पहल राजनीति से परे है और केन्द्र सरकार तथा सभी राज्य सरकारें आगे बढ़कर इसका समर्थन कर रही हैं।

श्रीमती राजे ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदेश के तीन सरपंचों श्री भंवरलाल पटेल, श्रीमती गुड्डू बाई तथा श्रीमती कांता ननोमा को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। साथ ही जल संरक्षण विषयों पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विजेता रहने वाले छात्र-छात्राओं को भी पुरस्कृत किया। कार्यक्रम में सेंड आर्टिस्ट श्री बादल बराय ने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के महत्व को खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत किया। 

पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश में शुरू किए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के सारगर्भित परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि लुप्त होती नदियों को बचाने का अभियान भी सबके लिए प्रेरणादायी रहेगा।

इस अवसर पर राज्य मंत्रिमण्डल के सदस्यगण, राजस्थान रिवर बेसिन अथॉरिटी के चेयरमैन श्री श्रीराम वेदिरे, मुख्य सचिव श्री अशोक जैन सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित थे।